किसी गांव में एक बहुत ही बपतिस्मा व्यक्ति रहता था कि लोगों को धर्म और दुनिया के मुद्दों बताता उन्हें धर्म की हिदायत और बुराई से बचते रहने की हिदायत करता. गांव वालों के लिए अल्लाह का यह बंदा किसी वरदान से कम नहीं था और वह हर मुद्दे में से मार्गदर्शन लेते.
फिर एक दिन .... इस गांव को एक तूफान आ घेरा तीव्रता गांव वालों ने पहले कभी न देखी थी. गांव था कि तूफानी बारिश और बाढ़ रेलों से डूबते ही जा रहा था. यहाँ से निकलने की बस एक ही सबील नौकाओं थीं, और जिन लोगों के पास नौकाओं थीं वह उन पर सवार सुरक्षित क्षेत्रों द्वारा भाग रहे थे.
गांव के कुछ लोग अपनी नाव पर सवार इस बपतिस्मा घर के पास से गुजरे तो उसे आवाज़ दी कि हमारे साथ नाव में आ जाओ. इस बुजुर्ग का जवाब था कि तुम लोग जाओ, मेरे अल्लाह मेरी मदद करेगा और मुझे बचा लेगा.
उन के जाने के बाद कुछ और लोग भी यहां से गुजरे जिन्होंने इस बुजुर्ग को मदद की पेशकश की मगर उसका वही जवाब था तुम लोग जाओ, मेरे अल्लाह मेरी मदद करेगा और मुझे बचा लेगा.
उनके बाद एक और परिवार के इस बुजुर्ग के घर के पास से गुजर गया, उन्होंने अपनी कोशिश की कि बुजुर्ग अपने साथ ले लें लेकिन यह वही जवाब था कि तुम लोग जाओ, मेरे अल्लाह मेरी मदद करेगा और मुझे बचा ले जाएगा.
तूफान खत्म और बाढ़ के पानी सूखा हुआ जब गांव के लोग वापस अपने घरों को लौटना शुरू हुई, वह बुजुर्ग को मृत पाया, उसकी लाश उसके घर में पड़ी थी. लोगों के लिए जहां यह सदमा थी वहीं आश्चर्य का कारण भी था अंत अल्लाह उसकी मदद क्यों नहीं की?
अभी लोग इस बहस में उलझे एक दूसरे को दोषी या भाग्य को कोस ही रहे थे कि एक अच्छा युवा उधर से गुजरा, उसने सारे गांव वालों को चुप कराते हुए कहा: कौन कहता है कि अल्लाह पाक इस आदमी द्वारा मदद नहीं भेजी. अल्लाह तआला ने तीन परिवारों जुड़वां उसे बचाने के लिए भेजा, लेकिन वह वह मदद स्वीकार करने से इनकार किया और तूफान में मारे गए.
इस किस्से में सेक्सी बताने की कोशिश की गई है कि अल्लाह तआला माफ़ोक ाल्फ़्रत या भ्रम
और गुमान से सुदूर तरीकों से मदद नहीं बल्कि इंसान के लिए कारणों बनाया देते हैं ताकि बंदा इन कारणों मदद से इज्तेहाद करते हुए अपना रास्ता बना.
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