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Thursday, 4 September 2014

कोई तो..!

गिर अपनी बहन किसी को पसंद करती है और मिलने जाती है तो उसे जान
मार देना चाहिए. क्योंकि वह बदिरदार है. और पुरुष बे सम्मान है.
जब किसी की बहन अपने साथ प्यार खेल खेले तो वह दुनिया
सबसे अच्छा और पवित्र औरत लगती है.
शादी से पहले किसी लड़की से प्यार था. क्योंकि वह बहुत अच्छी और
नेक लड़की थी.
शादी से पहले पत्नी को कोई पसंद करता था तो पत्नी बद किरदार.
वेश्या बदिरदार लेकिन उसे दिन जाने वाला सम्मान दार.
कोई लड़की किसी लड़के की बातों में आकर घर छोड़ दे तो पुरुष कह
उसे छोड़ देता है कि जब माता पिता हुई तो मेरी क्या
होगी.
जब आदमी अपनी पत्नी की बातों में आकर माँ का अपमान करता है और
उसको घर से निकाल देता है तो वह अच्छा पति कहलाता है.
कोई लड़की किसी लड़के से फोन पर बातें करती है और रिकॉर्ड कर
दोस्तों सुनाता है तो लड़की बुरी और सभी सम्मान दार.
दहेज दो दहेज दो. लेकिन सही मुहर साढ़े बत्तीस रुपये रखो.
दहेज अभिशाप है लेकिन मुंह फाड़कर लाखों का अधिकार मुहर मांग लो.
कोई काफ़िर किसी मुसलमान औरत पर जुल्म करे तो वह शैतान.
अपने हजारों मुसलमान लड़कियों फलरट करें व्यभिचार करके एसिड से जला
हत्या कर दें तो वे लड़कियां बदकार.
अपने किसी लड़की की छवि पर परमाणु, क्रूर, न्याय के कमनटस देंगे.
बाजार में नजर तो भूख दृष्टि से देखेंगे
कल वही किसी और होस का निशाना बन जाए तो हर जगह आदमी
को कोसते फिरें करेंगे.
हम तो मुसलमान हैं. इस्लाम तो व्यभिचार की सजा दोनों देता है फिर क्यों
हमारे इस्लामी समाज में सजा एक को मिलती है और दूसरा सम्मानजनक
बुरी हो जाता है?
पुरुषों के खिलाफ नहीं हूं. मैं अन्याय और पाखंड से
नफरत है.
आप में से कोई उस समय तक विश्वास नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने
भाई के लिए भी वही पसंद न करे जो अपने लिए करता है.
दुनिया की सारी दलीलें औचित्य, ोकालतें तो हम स्वयं के लिए करते
हैं. मगर सारी वाक्य दूसरों के लिए चुनते हैं.
हम ऐसे तो न थे. तो अब क्यों हो गए?
मुझे पता है बहुत कम लोग इसे सकारात्मक तरीके सोचेंगे.
खैर कोई तो सोचेगा. कोई तो पाखंड छोड़े जाएगा.
कोई तो कोशिश करेगा अपने सच बोलने की?

कोई तो दोनों को सजा देने या न्याय का सोचेगा

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