Translate

Tuesday, 2 September 2014

दरगुज़र और माफ करने का इनाम. ..!

हज़रत अनस आरए रिवायत करते हैं कि हम एक बार नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को देखा कि मुस्कुरा रहे हैं. तो हज़रत उमर आरए पूछा या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कौन सी चीज मुस्कान के कारण हुई? कहा मेरे दो ामती अल्लाह सामनेघटनेटेक कर खड़े हो गए हैं.
एक कहता है कि या अल्लाह मुझ पर अत्याचार किया है बदला चाहता हूँ.
अल्लाह पाक इस जालिम से कहता है कि अपने अत्याचार का बदला देना.
ज़ालिम जवाब देता है या रब! अब मेरी कोई धर्म बाकी नहीं रही कि जुल्म के बदले में उसे दे दूँ. वह दीन कहता है कि ऐ अल्लाह मेरे गुनाहों का बोझ उस पर लाद दे. यह कहते हुए नबी करीम स.अ.व. आबदीदह गए और कहा लगे कि वह बड़ा ही कठिन दिन होगा. लोग इस बात के हाजत उपयोगी होंगे कि अपने पापों का बोझ किसी के सिर धर दें.
अब अल्लाह पाक छात्र बदले से मई कि नज़र उठा कर स्वर्ग की ओर देखते हैं. वह सिर उठाएगा, स्वर्ग की ओर देखेगा और कहा जाएगा. या रब! इसमें तो चांदी और सोने के महल और मोती के बने हुए हैं. या रब! यह किसी नबी, किसी सिद्दीक़ और शहीद हैं?
अल्लाह करे, जो उसकी कीमत अदा करता है उसे दे दिए जाते हैं. वह कहेगा कि या रब! भला उसकी कीमत कौन अदा कर सकता है? अल्लाह करे कि तो उसकी कीमत अदा कर सकता है. अब वह कहा करेगा या भगवान कैसे?
अल्लाह जल शाना इरशाद देगा इस तरह कि तू अपने भाई को माफ कर दे.
वह कहेगा या रब मैंने माफ. अल्लाह पाक देगा: अब तुम दोनों एक दूसरे का हाथ थामे स्वर्ग में दर्ज.
उसके बाद सल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह से डरो, आपस में सुलह कायम रखो क्योंकि न्याय के दिन अल्लाह पाक भी मोमेनीन के बीच में सुलह कराने वाला है.
बहवाला
कमेंटरी इब्ने कसीर जल्द 2स: 269
माखोज़ से बिखरे मोती

No comments:

Post a Comment