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Friday, 5 September 2014

कि पुरुष...!

कि पुरुष अपने पिता के साथ पहाड़ों के बीच टहल रहा था. अचानक वह पुरुष अपना संतुलन बनाए नहीं रख सका और गिर पड़ा. उसे चोट लगी तो वास्तव बनाया उसके गले से चीख निकल गई! 'आह ... ... ... !'
लड़के आश्चर्य की सीमा रही जब उसे पहाड़ों के बीच किसी स्थान से यही आवाज फिर सुनाई दी 'आह ... ... ... !'
जिज्ञासा वह चीख पड़ा, 'तुम कौन हो?
उसे जवाब में वही आवाज सुनाई दी, 'तुम कौन हो?'
इस जवाब पर उसे गुस्सा आ गया और वे चीखते हुए बोला, 'बज़दल!'
उसे जवाब मिला, 'बज़दल!'
तब लड़के ने अपने पिता की ओर देखा और पूछा 'यह क्या हो रहा है?'
उसके पिता मुस्कुरा दिया और बोला, 'मेरे बेटे! अब ध्यान से सुनो! '
और फिर पिता ने पहाड़ों की ओर देखते हुए सदा लगाई, 'मैं तुम्हें श्रद्धांजलि देता हूं.'
आवाज ने कहा, 'मैं तुम्हें श्रद्धांजलि करता हूं.'
वह व्यक्ति फिर चीख कर बोला, 'तुम चैंपियन हो!'
ध्वनि ने जवाब दिया, 'तुम चैंपियन हो!'
पुरुष हैरान रह गया, लेकिन समझ में कुछ नहीं आया कि यह क्या हो रहा है.
तब उसके पिता ने उसे समझाया, 'लोग इसे गूंज कहते हैं, लेकिन वास्तव में यह जीवन है. यह तुम्हें हर वह चीज़ लौटा देता है कि तुम कहते या करते हैं. हमारे जीवन हमारे प्रदर्शन दर्पण होती है. अगर आप दुनिया में सबसे प्यार चाहते हैं तो अपने दिल में ज्यादा प्यार पैदा करो.
यदि आप अपनी टीम में अधिक क्षमता चाहते हैं तो अपनी क्षमता बेहतर बनाओ. यह सम्बन्ध हर वह वस्तु लौटा देता है कि आप उसे दी जाती है. तुम्हारी ज़िंदगी कोई संयोग नहीं, यह तुम्हारा ही आईना है ..! "

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