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Monday, 15 September 2014

आज हम कहते हैं हमारी पीढ़ी भौतिकवाद हो गई है!

वास्तव भौतिकवाद हो गई है, लेकिन उसे ऐसा बनाया किसने?
खुद हम ऐसा किया है!
आजकल बच्चा जब बोलने में सक्षम होता है तो ये शब्द उसके कानों में जाते हैं. मेरा बेटा अर्थपूर्ण स्कूल में होगा, ाचहा और सक्षम आदमी बनेगा) डॉक्टर, इंजीनियर (
बेटा खूब मेहनत करो तुम स्थिति लाना है ताकि मसकबल सनोवर जाए, ताकि आप एक सफल व्यक्ति बन सको.
उसके ननहे दिल में बिठा दी जाती है कि सफलता केवल दुनिया तक है.
सांसारिक शिक्षा के लिए बच्चे को अच्छा ट्यूटर प्रदान किए जाते हैं, उसके बावजूद विश्लेषण किसी हम खुद रिपोर्ट की जांच करते हैं, स्कूल जाकर दीकहते और शिक्षक से विश्लेषण किसी पोचहते हैं.
इसके विपरीत ...........
दीनी तालीम के लिए हम कबही यह नहीं कहते बेटा कुरान पड़हो उसे समजहो, दुनिया अस्थायी है, असली परीक्षा तो वहाँ होगा!
बस एक पाठक लगा देते हैं जो कुरान पड़हाता है. कबही यह दीकहा मेरा बच्चा कैसा पड़हता है? इस करأत कैसी है? उसकी तजूीद मजबूत है या नहीं?
ट्यूटर को 5000 देते हुए कबही दिल नहीं दिहता पर एक पाठक को 1000 देना बहुत मुश्किल लगता है. पाठक को विश्लेषण किसी अपने पेट के खातिर दस जगह जाना होता है तो वे विश्लेषण किसी बच्चे पर ध्यान कम, माल कमाने पर ज्यादा मेहनत करता है.
बच्चा जब आप सुनता ही दुनिया ही दुनिया है तो उसकी प्यार दुनिया से होगी ना!
जब उसका ाचहा मसकबल दुनिया शिक्षा है तो वह शिक्षा पर ध्यान दे गा.बस.
इसलिए वह अपना अच्छा बुरा बहोलते जा पें और दुनिया स्कहारही वे सीख रहे हैं.
संतान से गिला नहीं उन पर ध्यान दें, उन्हें धर्म का ज्ञान दें, इस्लाम क्या है? वह सिखाओ!

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