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Tuesday, 2 September 2014

नफ्स ामारह दीवार..!

किसी नदी के किनारे एक ऊँची दीवार बनी हुई थी दीवार पर एक प्यासा आदमी बैठा हुआ था प्यास के मारे उसकी जान लबों पर आ गई थी वह दीवार इस प्यासे आदमी और उसकी प्यास के बीच आड़े था उसे जब और कुछ नहीं सूझा तो आदमी दीवार से ईंटें ाखेटर कर नदी के पानी में फीनकनी शुरू कर दी थीं ईंट पानी में गिरती तो एक ध्वनि पैदा होती जिससे वह प्यासा आदमी आनंद हो जा रहें था वह तो सुरीली आवाज़ पर प्रेमी होगी था वह लगातार ईंटें फनिकता जारखा था इससे उसे एक विशेष नशे की सी स्थिति महसूस खोरखी थी
नदी के पानी उस व्यक्ति से संबोधित हो कर कहा
प्रथम दास भगवान तो मुझे ईंटें क्यों मारे जारखा है तुझे इस से क्या हासिल खोरखा है मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है
प्यासे आदमी ने जवाब दिया
प्रथम नदी के ठंडे मीठे पानी ऐसा करने में मेरे दो लाभ हैं
पहला लाभ यह है कि ईंट फनकने के बाद जो आवाज़ आती है उससे मेरे मृत शरीर में जान पड़ जाती है मेरे ले दुनिया की सबसे सुरीली आवाज बन गई है पाज्ों इस ध्वनि बड़ा सर्वर मिलता है दूसरा लाभ यह है कि जितनी अधिक ईंटें इस नदी में गिरती जारखी हैं इतना खी नदी का पानी मेरे पास आता जा जा रहें है जैसे प्रेमिका वस्ल का लम्हा निकट तर होता जारखाखे
विचार विमर्श करने वालों के लिए जो अदृश्य बिंदु है वह यह है कि नफ्स ामारह दीवार जब तक सिर उठाकर खिड़की देखें होगी वह प्रणाम करने में बाधा बनी देखें होगी
सबक
जवानी बर्बाद मत अपने अल्लाह के झुक जाओ और आत्मा ामारह दीवार ाखेटर फेंक दे.
आज के मुसलमान आत्मा के गुलाम हैं और जिसकी वजह आज हम अपमानित हो देखें.
समय उच्च स्थान प्राप्त हम अल्लाह के आदेश का पालन करना हो जाएगा.
अल्लाह हम सीधा रास्ता दिखा दिया
(अमीन)

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